Saturday, September 10, 2022

अभियंता

सुनो सुनो सब व्यथा मेरी  मैं भविष्य का अभियंता हूं

पहले बनता था विद्या से अब लक्ष्मी से भी बनता हूं


करता हूं नित दिन परिश्रम फिर भी समाज की सुनता हूं

रात रात भर जागकर खुली आंखों से भविष्य बुनता हूं


सुनता हूं बचपन से मैं परिश्रम सफलता की कुंजी है

यह सर्वथा मिथ्या है सफलता उसी की है जिसके पास पूंजी है


 देश की तो छोड़ दो ना अब अपने भविष्य का नियंता हूं

 सुनो सुनो सब व्यथा मेरी  मैं भविष्य का अभियंता हूं

 पहले बनता था विद्या से अब लक्ष्मी से भी बनता हूं


पैसों से हारा है परिश्रम इन नेताओं की सेवा है 

कहने को है जनप्रतिनिधि क्या कभी जनता को देखा है?


देखा है कभी सड़कों पर आंसू बहाते युवाओं को?

देखा है कभी अंधेरे में दौड़ लगाते पावों को?

देखा है कभी पलायन करते गावों के गावों को ? 

देखा है कभी पूरा होते अपने करे  दावों को?


देखोगे भी कैसे नेता जी यह तो मामूली सी जनता है 

इन्हीं को तो लालच देकर आप का साम्राज्य बनता है


भूखे थे नेताजी भविष्य ही खा गए मेरा अब मैं केवल जनता हूं

ना अब भविष्य रहा ना अब मैं अभियंता हूं 



                 -  चंद्रकांत बहुगुणा

अभियंता

सुनो सुनो सब व्यथा मेरी  मैं भविष्य का अभियंता हूं पहले बनता था विद्या से अब लक्ष्मी से भी बनता हूं करता हूं नित दिन परिश्रम फिर भी समाज की ...