Saturday, January 23, 2021

Gantavya Hindi Motivational Poem by Chandrakant Bahuguna


My Hindi Motivational Poem | gantavya | Chandrakant Bahuguna 


गंतव्य है गिरिराज , मेरा सहस्त्र ही बाधाएं हैं ।

माना कि पथिक हूं मैं अकेला , पर लाखों मुझसे आशाएं हैं ।



कदाचित समय अनुकूल न है , विपरीत ये हवाएं हैं।

कई हैं मेरे प्रतिस्पर्धी कईयों की मेरे संग दुआएं हैं।



है हर क्षण अथक परिश्रम और दुखद हर सायं है ।

फिर भी हर परिस्थिति में सुखद भोर कि आशाएं है ।



अभिलाषाएं हैं ! खुद की बहुत पर अभी बंधन में हूं ।

गंतव्य तो है सुखद , पर अभी कांटो के स्यंदन में हूं ।



चल पड़ा हूं उस विराने में , अब हार - जीत का भय नहीं ।

सूर्य अब उगता ही होगा , यह लौटने का समय नहीं ।



परिस्थितियां प्रतिकूल हैं , पर जीतना हर हाल है ।

भले ही हर एक पग रखना दुष्कर फिलहाल है ।



पहुंच ही जाऊंगा लक्ष्य तक , फिर तो खुशी का आगाज है ।

क्योंकी गंतव्य मेरा गिरिराज है ! गंतव्य मेरा गिरिराज है ...........







                                               - चंद्रकांत बहुगुणा 

No comments:

Post a Comment

अभियंता

सुनो सुनो सब व्यथा मेरी  मैं भविष्य का अभियंता हूं पहले बनता था विद्या से अब लक्ष्मी से भी बनता हूं करता हूं नित दिन परिश्रम फिर भी समाज की ...