Friday, December 20, 2019

मूक ( कविता)



वह मूक नहीं है , पर क्यों बोले उस जड़ इंसान से 
भीक नहीं मांगेगा , वह मरेगा सम्मान से 

प्रतिपल मरता जाए वह मनुष्य के अपमान से 
जीवन का संघर्ष करे वह पूरी जान और शान से 

जिस खेत से उपजे अन्न के हम खाते हैं ग्रास कई
उसी खेत पर जो हल लगाए उसके लिए घास नहीं 

मांस तक उसका खाएं जिसका हमने दूध पिया
हे मानव , उसकी लाचारी का इस्तेमाल तुमने खूब किया 

चुप रहा वह तब भी जब उसके घर को राख किया
पीकर अपने गुस्से को उसने हर बार हमें माफ किया 

साथ दिया उसने हर मोड़  पर जिस इंसान का
वही मानव भूका निकला उस मूक की जान का 

हे मूर्ख ! क्यों बसी उसपर तेरी जान है 
यह किसी का सगा नहीं , यह एक इंसान है 






नोट - आप सभी से अनुरोध हैं ,  जहां तक हो सके  इनकी सहायता करें । क्योंकि उनकी इस  दयनीय स्थिति  के जिम्मेदार   भी हम ही हैं । 



                            - चंद्रकांत बहुगुणा 

Thursday, December 12, 2019

बचपन ( कविता )

यादें जो धूमिल हैं अब , पर ले उठे आकार कभी 
यादें जो अच्छे स्वप्न सी , क्यूं हो उठी लाचार अभी 
यादें जो अब शोर हैं , थी कभी झंकार सी 
यादें जो अब खंडर हैं , थी कभी संसार भी

वे शरारतें , वे मस्तियां क्यों इस कदर वे थम गई
जिन यारों से थी जिन्दगी , क्यों अब वह संगम नहीं 
मित्रता में  फासलों को चीरने का दम नहीं 
कहने को है दोस्ती , पर उन दोस्तों में अब हम नहीं 

चल पड़े अकेले उन रास्तों पर , जिन रास्तों से थे बेेेेखबर 
अलग - थलग से हो चले , मानो तिनके पड़े हों राह पर 
हवा का एक वार ही भाग्य बदल सकता है जिनका अब 
तूफान से भी लड़ पड़ते थे , वे साथ थे जब 

माथे पर परेशानियों के चिन्ह इतने गढ़ गए 
बचपन को बचपन  में छोड़ हम आगे बढ़  गए


यादें वो बेबस होकर कर रही है इंतजार......
फिर मिलेंगे सब कभी , फिर महक उठेगा वह संसार ।

   
                                -   चंद्रकांत बहुगुणा 

Wednesday, December 11, 2019

इंटरव्यू (उपन्यास) अध्याय - 1 , भाग 1

"आज बहुत खास दिन है" !  "गलती ना होने पाए" ! " लाखों मिन्नतें करने के बाद सरकार ने उनका एक साक्षात्कार लेने की अनुमति दी है , और हमारा चैनल ही पहला वह इकलौता चैनल बनेगा जो यह साक्षात्कार (interview) लेगा, और वह भी दुनिया के सबसे ज्यादा जरूरी इंसान का "  पसीने से तर world wide news channel (W.N.C)  के मालिक श्रीमान आलेख दत्त अपने कार्यकर्ताओं को समझा रहेे थे ।
 
"यह बात याद रखना कि उस आदमी की सुरक्षा 12 देशों की सेना के बेहतरीन जवान कर रहे हैं , अपनी हर एक क्रिया सोच समझकर और नियंत्रित तरीके से करना , अन्यथा आपको सफाई देने का भी समय नहीं मिलेगा " ।
"वैसे"! जिसे साक्षात्कार लेना है वह कहां है ? ,  सर जतिन अपने कक्ष में बैठे हैं , क्या मैं उन्हें बुलाऊं ? , सुरक्षाकर्मी ने कहा।

" मैं ही जाता  हूं " यह कहकर दत्त चल दिए।
दत्त कक्ष के अंदर पहुंचे जहां जतिन बैठा था , और बोले " सारी तैयारियां हो गई है जतिन ?" , जतिन ने  सर खिलाते हुए कहा हां सर तैयारियां तो पूरी हो चुकी है मगर थोड़ी घबराहट सी हो रही है ।
अभी-अभी मुझे एक कर्मचारी का ई-मेल आया और उसमें लिखा था कि साक्षात्कार लाइव होगा और भूलकर भी मैं कोई ऐसा प्रश्न ना करूं जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर कोई प्रभाव पड़े ऐसा करना मेरे लिए अच्छा नहीं होगा , साक्षात्कार के दौरान ऐसे प्रश्न होना तो स्वाभाविक है , मैं आशा करता हूं कि जिनका में साक्षात्कार लेने जा रहा हूं वह स्वभाव के अच्छे हो।
दत्त गहरी सांस लेते हुए बोले देखो थोड़ी घबराहट तो स्वाभाविक है क्योंकि कुछ चंद अफसरों और हमारे राष्ट्रपति के अलावा किसी को यह भी नहीं पता की या इंसान कैसा दिखता है, 
मुझे तुम्हारी काबिलियत पर कोई संदेह नहीं परंतु मैं फिर भी कहूंगा कि अपने हर कार्य को सोच समझकर और ध्यान से करना, जैसा आप कहें जतिन ने कहा।
अचानक दत्त हड़बड़ी में बोले मुझे 10 मिनट के अंदर अंदर बाहर गाड़ी में मिलना उन्होंने अभी तक हमें स्थान भी नहीं बताया है और देरी की गुंजाइश भी नहीं है यह कहकर दत्त बाहर चल दिए ।

दत्त के जाने के बाद जतिन घुटनों के बल बैठ गया और आंखें बंद कर ली 5 मिनट के मौन के बाद अब वह तैयार था , अपने जीवन का सबसे बड़ा साक्षात्कार लेने के लिए।

जतिन औफिस से  नीचे उतरकर सड़क की दूसरी ओर गया जहां जतिन की गाड़ी खड़ी थी, दत्त ने जतिन को अंदर आने को कहा ,जतिन अंदर बैठ गया।
 
जतिन ने आश्चर्य से पूछा  सर मेरे कैमरामैन और बाकी सहकर्मी कहां हैं ? , दत्त खांसते हुए बोले देखो मैं तुम्हे पहले बताना तो चाह रहा था , पर मुझे लगा तुम घबरा जाओगे उन्होंने बाकी सबको आने से मना किया है सिर्फ और सिर्फ तुम हो , देखो मैं नहीं जानता कि उस आदमी में इतना खास क्या है पर कोई भी देश उस पर एक आंच भी नहीं आने देना चाहता , तुम्हे भी पूरे मेडिकल के बाद ही अनुमती मिलेगी , शायद ये कपड़े वो अंदर भी ना ले जाने दें।

  To be continued ........






Saturday, December 7, 2019

photography , Uttarkashi,Uttarakhand



चलो लहरों सा मृदुल बनकर ।
समय आने पर चट्टाने भी तोड़ दोगे 😊

अभियंता

सुनो सुनो सब व्यथा मेरी  मैं भविष्य का अभियंता हूं पहले बनता था विद्या से अब लक्ष्मी से भी बनता हूं करता हूं नित दिन परिश्रम फिर भी समाज की ...